हर दौर में हम जैसे दिवाने नहीं आते! नादान हवाओं के फ़साने नहीं आते!! हर दौर में हम जैसे दिवाने नहीं आते! नादान हवाओं के फ़साने नहीं आते!!
खाली जेब हो तो "अपने" साथ आते है खाली जेब हो तो "अपने" साथ आते है
हरे भरे खेत और गाँव के मिट्टी को जैसे चूम कर आया हूँ। हरे भरे खेत और गाँव के मिट्टी को जैसे चूम कर आया हूँ।
जब भी दर्द ने आह भरी हम झट से मुस्कुरा दिये, जब भी दर्द ने आह भरी हम झट से मुस्कुरा दिये,
रंगों की चाहत सबको होती है और प्रकृति में बेशुमार रंग भरे हैं रंगों की चाहत सबको होती है और प्रकृति में बेशुमार रंग भरे हैं
सुख दुख बांटे इक दूजे का, इसलिए त्यौहारों की परम्परा बनाई। सुख दुख बांटे इक दूजे का, इसलिए त्यौहारों की परम्परा बनाई।